Baat se baat ki gehraai chali jaati hai jhooth aa jaaye toh sachchaai chali jaati hai. Raat bhar jaagte rahne ka amal theek nahin Maine is shehar ko dekha bhi nahin jee bhar ke Kuchh dinon ke liye manzar se agar hat jaao Pyaar ke geet hawaaon mein sune jaate hain Chhap se girti hai koi cheez ruke paani mein Mast karti hai mujhe apne lahoo ki khushboo Dar-o deewaar pe chehre se ubhar aate hain | बात से बात की गहराई चली जाती है झूठ आ जाए तो सच्चाई चली जाती है। रात भर जागते रहने का अमल ठीक नहीं चाँद के इश्क़ में बीनाई चली जाती है। मैंने इस शहर को देखा भी नहीं जी भर के और तबीयत है कि घबराई चली जाती है। कुछ दिनों के लिए मंज़र से अगर हट जाओ ज़िंदगी भर की शनासाई चली जाती है। प्यार के गीत हवाओं में सुने जाते हैं दफ़ बजाती हुई रूस्वाई चली जाती है। छप से गिरती है कोई चीज़ रूके पानी में दूर तक फटती हुई काई चली जाती है। मस्त करती है मुझे अपने लहू की खुश्बू ज़ख़्म सब खोल के पुरवाई चली जाती है। दर-ओ दीवार पे चेहरे से उभर आते हैं जिस्म बनती हुई तन्हाई चली जाती है।। |